पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का 92 की उम्र में निधन, प्रियंका गांधी अंतिम दर्शन को AIIMS पहुंचीं
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया. सिंह ने दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में आखिरी सांस ली. 92 साल के सिंह को तबीयत बिगड़ने पर गुरुवार शाम ही एम्स में भर्ती कराया गया था. भारत के 14वें प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों का जनक माना जाता है.
मनमोहन सिंह ने 22 मई, 2004 को देश की कमान संभाली थी. उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री लगातार दो कार्यकाल पूरे किए. मनमोहन ने कुल 3,656 दिन सरकार चलाई. उनकी गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है जिनका विपक्षी भी सम्मान करते थे. शांत स्वभाव के मनमोहन बेहद नपा-तुला बोलते थे. इस बात के लिए राजनीतिक विरोधियों ने उनका कई बार मजाक बनाया.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया है। तबीयत बिगड़ने के बाद देर शाम उन्हें दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वह 92 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
जानकारी के अनुसार साल 2006 में मनमोहन सिंह की दूसरी बार बाईपास सर्जरी हुई थी, जिसके बाद से वह काफी बीमार चल रहे थे। गुरुवार को उन्हें सांस लेने में तक़लीफ और बेचैनी के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। उनका जन्म 26 सितम्बर 1932 को पश्चिमी पंजाब के गाह (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
साल 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे थे और भारत के बड़े अर्थशास्त्रियों में उनकी गिनती होती थी। उन्होंने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय और ग्रेट ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। मनमोहन सिंह को हमेशा अपने सरल और शांत स्वभाव के लिए याद किया जाएगा।
वर्ष 2006 में हुई थी दोबारा बाइपास सर्जरी
जानकारी के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 2006 में दोबारा बाइपास सर्जरी हुई थी। जिसके लिए मुंबई से स्पेशलिस्ट डॉक्टर रमाकांत पांडा को बुलाया गया था। इसके अलावा कोरोना काल में उन्हें कोविड भी हुआ था, जिसके बाद से उन्हें सांस लेने में भी काफ़ी तकलीफ रहती थी। बताया जा रहा है कि गुरुवार को तक़रीबन आठ बजे उन्हें दिल्ली के एम्स इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, जहां करीब आधे घंटे बाद उनका निधन हो गया। बता दें वे 1985 से 1987 तक भारतीय योजना आयोग के प्रमुख भी रहे थे।